जानिए नवरात्रि की दुर्गा अष्टमी 2022 का महत्व व पूजन का सबसे उत्तम मुहूर्त

दुर्गा अष्टमी 2022: नवरात्रि का पर्व हिन्दुओं में अपार श्रद्धा पैदा करता है। वैसे तो पुरे वर्ष में नवरात्रि 4 बार आती है। परन्तु चैत्र और शरद नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा के सभी अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। मां को प्रसन्न करने के लिए भक्त पूरे श्रद्धा भाव से व्रत रखते हैं। पुरे विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। नवरात्रि के आखिरी दिन रामनवमी मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन ही भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। नवमी एक दिन पहले दुर्गा अष्टमी का पूजन किया जाता है। नवरात्रि में राम नवमी व दुर्गा अष्टमी को विशेष श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। नवरात्रि के आठवें दिन माता की महागौरी के रूप में पूजा की जाती है। छोटी कन्याओं (कंजकें) को पूजा के बाद भोजन खिलाया जाता है। इनको माता का रूप माना जाता है। 

Read more: चैत्र नवरात्रि 2022: इस नवरात्रि का विशेष महत्व, शुभ मुहूर्त और तिथि

दुर्गा अष्टमी 2022 का शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:32 बजे से सुबह 05:17 बजे तक

अभिजित मुहूर्त – सुबह 11:57 बजे से दोपहर 12:48 बजे तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 02:30 बजे से 03:20 बजे तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 06:31 बजे से 06:55 बजे तक

अमृत काल – सुबह 01:50 बजे से 03:37 बजे तक

रवि योग – सुबह 04:31 बजे से 06:01 बजे तक

इस बार दुर्गा अष्टमी 2022 पर बन रहा है शुभ योग

दुर्गा अष्टमी 2022 शुभ योग

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, 9 से 10 अप्रैल देर रात 01 बजकर 23 मिनट तक दुर्गा अष्टमी 2022 तिथि का शुभ योग रहेगा। इसके पश्चात् नवमी तिथि लग जाएगी। 9 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 25 मिनट के बाद सुकर्मा योग लगेगा। इसको ज्योतिष शास्त्र में शुभ योगों में गिना जाता है। सुकर्मा योग में किए गए कार्यों में हमेशा सफलता प्राप्त होने की मान्यता है। इस दौरान किसी नौकरी को ज्वॉइन करना व कोई मांगलिक कार्य करना बेहद ही उत्तम होता है।

अष्टमी पूजन व कन्या पूजन विधि 

अष्टमी पूजन विधि
  • प्रातःकाल जल्दी उठकर घर और पूजा स्थान की अच्छे से साफ-सफाई करें। 
  • फिर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थान जहाँ पर माता की चौंकी स्थापित की है! माता रानी को लाल चुनरी चढ़ाएं। इसके साथ ही श्रृंगार का सामान भी चढ़ाएं।
  • अखंड जोत के साथ धूप दीप प्रज्वलित करें।
  • पान के ऊपर सुपारी और इलायची रखकर मां दुर्गा की चौंकी के समक्ष रखें।
  • मां दुर्गा को फल व मिष्ठान भी अर्पित करें।
  • पूजन के दौरान माँ दुर्गा चालीसा का पाठ भी करें।
  • पूजन सम्पन्न होने के बाद मां दुर्गा की आरती करें। पूजन में हुई भूल-चूक के लिए क्षमा याचना मांगे। मां महागौरी की पूजा करने के बाद कन्या पूजन अवश्य करें। 
  • कन्या पूजन के लिए नौ कन्याओं के साथ एक लंगूर को बिठाए। नौ कन्याएं मां दुर्गा के  स्वरूप को दर्शाती हैं वहीं लंगूर भैरव को दर्शाता है। 
  • सभी कन्याओं और लंगूर के पैर धोकर एक आसन पर बिठा दें। 
  • सभी को तिलक लगाकर, माता को भोग लगाने के बाद उन सब को भोजन परोसें। 
  • भोजन के पश्चात उन्हें फल और दक्षिणा भी दें। 
  • अगर नौ कन्याएं पूरी न हों तो बची हुए कन्याओं का खाना गौ माता को दे सकते हैं। 
  • फिर उन सबका आशीर्वाद लेकर सम्मानपूर्वक विदा करें।

Astro Virender Sahni

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *