गजकेसरी योग के क्या मायने है? जानिए ज्योतिष के अनुसार कौन होते है इसके हक़दार

गजकेसरी योग इंसान के जीवन काफी महत्व रखता है। गजकेसरी शब्दों से मिलकर बना है। हाथी के लिए गज, और केसरी के लिए शेर। हाथी और शेर दोनों बहुत ही शक्तिशाली होते हैं। ये दोनों अधिकार और बुद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं। गजकेसरी योग वाले लोग धन, साहस, सम्मान प्राप्त करने में लगे रहते हैं। ये लोग आमतौर पर अच्छे वक्ता होते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार गजकेसरी योग चंद्रमा और बृहस्पति का योग होता है। जब बृहस्पति, चंद्रमा से केंद्र स्थान यानि पहले, चौथे ,सातवें या दसवें भाव में हो! यह योग तब बनता है। इस योग में इन दोनों ग्रहों पर किसी क्रूर या पापी ग्रह का प्रभाव नहीं होता।  

गजकेसरी योग में क्या फल मिलता है 

गजकेसरी योग का फल

कहा जाता है कि इस योग के बनने से व्यक्ति के जीवन खुशियों का संचार हो जाता है। कभी भी धन-सम्पदा, स्त्री व सन्तान सुख, घर, वाहन, पद-प्रतिष्ठा, इत्यादि में किसी भी प्रकार की कमी नहीं आती। संपूर्ण जीवन सुख-समृद्धि से युक्त रहता है। सफलता हमेशा उनके सामने रहती है। नौकरी के मामलों में उच्चपद प्राप्त करते है। यह योग बहुत ही शुभ माना जाता है। इस योग के लोगों पर भगवान गणपति की कृपा सदैव बनी रहती है। इससे वो बुद्धिमान होता है और समाज में मान-सम्मान प्राप्त करता है। 

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गजकेसरी योग के प्रभाव और कैसे बनता है यह योग

गजकेसरी योग के प्रभाव
  • ज्योतिष के अनुसार, लगभग 20 – 30 प्रतिशत लोगों की कुंडली में ही गजकेसरी योग बनता है। इस योग का शुभ फल तभी मिलता है जब कुंडली में वक्री या नीच गृह की दृष्टि ना हो।
  • गजकेसरी योग का निर्माण बृहस्पति और चंद्रमा की सहयोग से होता है। 
  • जब केंद्र में गुरु और चंद्रमा एक दूसरे को देख रहे हों! तब भी गजकेसरी योग का निर्माण होता है। 
  • प्रबल या प्रभावकारी योग बृहस्पति की चंद्रमा पर पांचवी या नौंवी दृष्टि से भी बनता है। 
  • अगर बृहस्पति और चंद्रमा कर्क राशि में एक साथ हों? और कोई अन्य अशुभ ग्रह इन्हें न देख रहा हो! ऐसे में यह बहुत ही सौभाग्यशाली योग बनाते हैं। 
  • गुरु को कर्क राशि में उच्च माना जाता है। चंद्रमा भी कर्क राशि के स्वामी होने से स्वराशि के होते हैं। 
  • पहला, चौथा, सातवां और दसवां स्थान केंद्र का माना जाता है। अगर केंद्र में यह योग बन रहा हो? तो यह भी शुभ फल देने वाला होता है।
  • इसके अलावा जब बृहस्पति की महादशा में चंद्रमा और चंद्रमा की महादशा में गुरु की अंतरदशा प्राप्त हो!  तो भी गजकेसरी योग फलदायी होता है।
  • यदि छठे, आठवें और दसवें भाव में यह योग न हो? गुरु की राशि मीन या धनु अथवा शुक्र की राशि वृष में बन रहा हो! तो यह लाभ देने वाला होता है। 
  • ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, यदि शुक्र चंद्रमा से केंद्र यानि पहले, पांचवें, सातवें और दशवें भाव में हो? तब भी गजकेसरी योग बनता है। 
  • अगर बुध और बृहस्पति पर चंद्रमा की दृष्टि पड़ रही हो? और इसके अलावा चंद्रमा दोनों ग्रहों से सातवें भाव में हो! तब बुध से भी गजकेसरी योग का निर्माण होता है। 

गजकेसरी योग के लाभ

गजकेसरी योग के लाभ
  • जब व्यक्ति की कुंडली के पहले घर में इस योग का निर्माण होता है! तो यह व्यक्ति को स्वस्थ, प्रतिष्ठित और प्रभावशाली बनता हैं।
  • कुंडली के 7वें घर में चंद्रमा और बृहस्पति का योग व्यक्ति को कुशल, व्यापारी, और धनवान बनाता है। 
  • कुंडली के चौथे घर में गजकेसरी योग व्यक्ति को राजा, मंत्री और विद्वान व्यक्ति के समान बनाता है। इसके साथ ही घरेलू सुख-सुविधाओं का भोग भी प्रदान करता है। 
  • वहीं कुंडली के नौवें घर में चंद्रमा और गुरु का योग व्यक्ति को धार्मिक कार्यों से जोड़ता है। 
  • कुंडली के दसवें भाव में गजकेसरी योग व्यक्ति को विद्वान, धनी, और सम्मानित बनाता है। इस घर में चंद्रमा-बृहस्पति की उपस्थिति करियर, उच्च स्थिति और वित्तीय समृद्धि के लिए बहुत अनुकूल और लाभदायक बनाती है।
  • 11वें घर का योग व्यक्ति को धन, प्रसिद्धि, राजनेताओं व सरकारी अधिकारियों के साथ अच्छे संबंध बनाता है। 
  • कुंडली के 12वें भाव में गुरु और चंद्रमा के योग से मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसे में व्यक्ति का व्यवहार पवित्र और बुद्धिमान संन्यासी जैसा हो जाता है। यह योग विदेश यात्रा का सुख भी देता है। 

Astro Pawan Sharma

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